कर्म-भूमि
जीवन-धनुष की प्रत्यंचा पर, जैसे बाण चढ़ाया,हुई विकल टंकार और, संकुचित मन घबराया।कब से बैठा था ये मन सब अपना ही मन मारे,केवल मन से नहीं चलता सब, इसे समझ…
जीवन-धनुष की प्रत्यंचा पर, जैसे बाण चढ़ाया,हुई विकल टंकार और, संकुचित मन घबराया।कब से बैठा था ये मन सब अपना ही मन मारे,केवल मन से नहीं चलता सब, इसे समझ…
न रंजिश रहेगी, न झिझक, न उम्मीद की इन्तेहाँमैं दिल छोड़ के आऊंगा, तू भी दिल छोड़ के आ - ग़ाफ़िल
जेहन में लगी है अदालत, खुद पर ही फ़रोशी के मुकदमे लगे हैं, तू हो जा खुशहाल, और गवाही दे दे। ग़ाफ़िल
Hello friend! Let's get on the same page. This site is for discussing, engaging with multiple hobbies. I just have some hobbies and I am very passionate about them. So…