मुश्किल तो है….
जाना उसे तो हुआ ये एहसास, शुक्र है ख़ुदा, ज़िन्दगी में शामिल तो है,
है अजब रिश्ता पर कैसा भी हो, लफ़्ज़ों के लेनदेन की तकमील तो है।कुछ ऐसा नहीं करता की कोई हो ख़फ़ा, शुक्र है खुदा का, काहिल तो है,
समझता है मुझको वो बड़े कायदे से, कितना भी छुपा ले, ख़ुद भी एक बिस्मिल तो है।नहीं समझती उसको ये चमक धमक, है खुदा की देन, वो ज़ाहिल तो है,
ज़ाहिलियत भी ये वो आम नहीं, बस इक दग़ा छोड़ हर इक चीज़ में फ़ाज़िल तो है।नहीं होंगे सहारा वो मेरा ताउम्र, बस सामने वाली दरिया का साहिल तो है,
हो नहीं सकता इस ज़िन्दगी में वो मेरा, कम से कम अगली ज़िन्दगी का सोचने के क़ाबिल तो है।मुश्किल तो है….
ग़ाफ़िल