जिन्न-ए-दौलत मिले, जिन्न-ए-रियासत मिले,
ग़ाफ़िल
चाहे एक मुकम्मल सियासत मिले,
ख़ालिस खुशी अपनी कमाई के चन्द सिक्के ही देते हैं,
चाहे लाख दीनारों की विरासत मिले।
जिन्न-ए-दौलत मिले, जिन्न-ए-रियासत मिले,
ग़ाफ़िल
चाहे एक मुकम्मल सियासत मिले,
ख़ालिस खुशी अपनी कमाई के चन्द सिक्के ही देते हैं,
चाहे लाख दीनारों की विरासत मिले।