इतनी सी खुशी…
न हमें मोती चाहिए, न ही कोहिनूर चाहिए,बस कुछ ज़रूरी चेहरों पे इक खास नूर चाहिएखिले रहें ये चेहरे हर मौसम सुबह-ओ-शाम,बस इतनी सी खुशी हमें भरपूर चाहिए ग़ाफ़िल
न हमें मोती चाहिए, न ही कोहिनूर चाहिए,बस कुछ ज़रूरी चेहरों पे इक खास नूर चाहिएखिले रहें ये चेहरे हर मौसम सुबह-ओ-शाम,बस इतनी सी खुशी हमें भरपूर चाहिए ग़ाफ़िल
ज़रूरी नहीं हर रात हो चाँद से रौशन, साये हम-बदन से तो बस अमावस में लगते हैं,जुगनू भी ये बात समझते हैं अलबत्ता, इसीलिए रह रह के आलस में जलते…
हाथों में जो होते हाथ, तो शायद लकीरें मिल गईं होतीं,या होते ही न हाथ, तो ये मुश्किल नहीं होती। ग़ाफ़िल
जिन्न-ए-दौलत मिले, जिन्न-ए-रियासत मिले,चाहे एक मुकम्मल सियासत मिले,ख़ालिस खुशी अपनी कमाई के चन्द सिक्के ही देते हैं,चाहे लाख दीनारों की विरासत मिले। ग़ाफ़िल
मुश्किल तो है.... जाना उसे तो हुआ ये एहसास, शुक्र है ख़ुदा, ज़िन्दगी में शामिल तो है,है अजब रिश्ता पर कैसा भी हो, लफ़्ज़ों के लेनदेन की तकमील तो है।…